Sandeh Sahitya Sagar Workbook Answers | संदेह Workbook Questions-answers

Sandeh Sahitya Sagar Workbook Answers | संदेह Workbook Questions-answers
Sandeh Sahitya Sagar

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लेखक परिचय

जयशंकर प्रसाद (30 जनवरी 1889 – 14 जनवरी 1937) हिन्दी कवि, नाटकार, कथाकार, उपन्यासकार तथा निबन्धकार थे।

जयशंकर प्रसाद हिन्दी के छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक हैं। जयशंकर प्रसादने हिंदी काव्य में छायावाद की स्थापना की। प्रसाद जी की प्रारंभिक शिक्षा काशी मे क्वींस कालेज में हुई, किंतु बाद में घर पर इनकी शिक्षा का व्यापक प्रबंध किया गया, जहाँ उन्होंने संस्कृत, हिंदी, उर्दू, तथा फारसी का अध्ययन किया।

प्रसाद की रचनाओं में प्रेम, सौन्दर्य, देशभक्ति व प्रकृति-चित्रण का वर्णन मिलता है। उनकी आस्था भारतीय संस्कृति एवं मानवतावाद में रही है। वे राष्ट्रीय भावना तथा स्वदेश प्रेम को अधिक महत्त्व देते हैं।

प्रसाद की भाषा में संस्कृतनिष्ठ तत्सम शब्दावली का प्रयोग किया गया है।

प्रमुख रचनाएँ – चित्राधार, झरना, लहर, प्रेम-पथिक, आँसू, कामायनी, तितली, कंकाल, चंद्रगुप्त, अजातशत्रु आदि।

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Table of Contents

Sandeh Sahitya Sagar शब्दार्थ

  • उज्ज्वल – चमकीला
  • आलोक खंड – रोशनी का हिस्सा
  • प्रतिमा – मूर्ति
  • निर्झरिणी – झरना
  • प्रतिबिम्ब – छाया
  • वैधव्य – विधवापन
  • अवलंब – सहारा
  • संखिया – एक प्रकार का ज़हर
  • दुर्वह – जिसे संभालना मुश्किल हो
  • मृग मरीचिका – आधारहीन भ्रम, छलावा
  • बजरा – छत वाली नाव
  • दुश्चरित्रा – बुरे चरित्र वाली
  • विक्षिप्त – पागल
  • निश्वास – लम्बी साँस छोड़ना
  • अर्पण – दे देना
  • निमग्न – लीन
  • अचल – स्थिर
  • विस्मित – भूला हुआ – सा
  • उच्छावासित – गहरी साँस छोड़ने लगना
  • संबंधी – रिस्तेदार

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संदेह कहानी का उद्देश्य

जयशंकर प्रसाद द्‌वारा रचित संदेह एक मनोवैज्ञानिक कहानी है जिसके माध्यम से लेखक ने यह बताने की कोशिश की है कि संदेह या भ्रम का शिकार व्यक्ति मानसिक और भावनात्मक पीड़ा का शिकार होता है। उसमें भटकन की प्रवृत्ति बढ़ जाती है और उसका स्वभाव अत्यंत आत्मकेंद्रित तथा सोच संकुचित हो जाती है।

कहानी में मोहन बाबू अपनी पत्नी मनोरमा पर संदेह करते हैं, जिसकी वजह से वह विक्षिप्त सा व्यवहार करने लगते हैं। वहीं दूसरी तरफ मनोरमा रामनिहाल से सहायता माँगती है और रामनिहाल को भ्रम हो जाता है कि मनोरमा उसके प्रति आकर्षित हो चुकी है किन्तु वह विधवा श्यामा से भी प्रेम करता है। रामनिहाल की यह असमंजस की स्थिति उसे मानसिक पीड़ा पहुँचाती है। अत: व्यक्ति को अपने विवेक का इस्तेमाल कर हर तरह के संदेह से उबरने की कोशिश करनी चाहिए।

संदेह कहानी का चरित्र-चित्रण

मनोरमा

मनोरमा एक अत्यंत सुंदर महिला तथा मोहन बाबू की पत्नी है। वैचारिक स्तर पर उसका अपने पति मोहन बाबू से मतभेद रहता है। उसे इस बात का आभास है कि ब्रजकिशोर उसके पति को पागल बनाकर उसकी सारी सम्पत्ति हड़पने की योजना बना रहे हैं। वह बुरे चरित्र वाली स्त्री नहीं है। वह चाहती है कि उसके पति की मनोदशा ठीक हो जाए। वह चाहती है कि उसके पति के मन में ब्रजकिशोर को लेकर जो भी संदेह है, वह दूर हो जाए। वह रामनिहाल से सहायता भी माँगती है।

मोहन बाबू

मोहन बाबू मनोरमा के पति हैं। वे अत्यंत संवेदनशील व्यक्ति हैं। वे साहित्यिक प्रवृत्ति के भी हैं। गंगा में दीपदान का अर्थ स्पष्ट करते हुए कहते हैं कि यह जीवन के लघुदीप को अनंत की धारा में बहा देने का संकेत है। वे अकपट प्यार के इच्छुक हैं पर मानसिक रूप से बहुत कमज़ोर हैं। मोहन बाबू को अपने रिश्तेदार ब्रजकिशोर और पन्ती मनोरमा पर संदेह था। उन्हें विश्वास हो गया था कि ब्रजकिशोर उनकी पत्नी के साथ मिलकर उनकी संपत्ति के प्रबंधक बनने के लिए उन्हें अदालत में पागल सिद्‌ध करना चाहते हैं।

रामनिहाल

रामनिहाल कहानी का प्रमुख पात्र है। यह एक सज्जन, परिश्रमी तथा सबकी मदद करने वाला महत्त्वाकांक्षी व्यक्ति था। श्यामा के यहाँ आने से पहले वह यायावर की तरह घूम-घूमकर जीवन व्यतीत करता है। वह अन्तमुर्खी भी है, तभी श्यामा से चुपचाप प्रेम करता है। वह पलायनवादी भी है, तभी परिस्थियों का सामना न कर चुपचाप श्यामा के यहाँ से पटना जाने के लिए समान बाँधता है।

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मैं चतुर था, इतना चतुर जितना मनुष्य को न होना चाहिए, क्योंकि मुझे विश्वास हो गया है कि मनुष्य अधिक चतुर बनकर अपने को अभागा बना लेता है और भगवान की दया से वंचित हो जाता है।

Question:-

वक्ता एवं श्रोता कौन हैं? उसने श्रोता से अपने मन की बात किस प्रकार बताई?

Answer:-

वक्ता रामनिहाल है और श्रोता श्यामा। रामनिहाल ने श्रोता श्यामा से कहा कि उसके कठोर व्रत, वैधव्य का आदर्श देखकर उसके हृदय में विश्वास हुआ है कि मनुष्य अपनी वासनाओं का दमन कर सकता है; उसका अवलंब बड़ा दृढ़ है।

Question:-

अपनी महत्त्वाकांक्षा तथा उन्नतिशील विचारों के बारे में वक्ता ने क्या कहा?

Answer:-

रामनिहाल ने बताया कि उसकी महत्त्वाकांक्षा और उन्नतशील विचार उसे बराबर दौड़ाते रहे। वह अपनी कुशलता से अपना भाग्य को धोखा रहे। वह किसी भी स्थान पर जमकर न ठहर सका। कभी-कभी उसे ऐसा मालूम होता था कि अब वह अपने आप पर विजयी हो गया है और अब वह संतुष्ट होकर एक स्थान पर चैन से टिक जाएगा, परंतु यह मृगमरीचिका थी।

Question:-

वक्ता ने श्रोता से किस घटना का उल्लेख किया?

Answer:-

रामनिहाल ने श्यामा को बताया कि एक दिन वह काम-काज से छुट्टी पाकर संध्या की शोभा देखने के लिए दशाश्वमेध घाट पर जाने के लिए तैयार था कि ब्रजकिशोर बाबू के कहने पर वह उसके संबंधी मोहन बाबू और मनोरमा को गंगा घाट पर बजरे पर बैठाकर घुमाने ले गया था, जहाँ वह मनोरमा के संपर्क में आया और उसे संदेह होने लगा कि मनोरमा उसे चाहती है।

Question:-

क्या आप वक्ता के उपर्युक्त कथन से सहमत हैं ? कारण सहित बताइए।

Answer:-

वक्ता के उपर्युक्त कथन से हम पूर्णतया सहमत हैं क्योंकि जब मनुष्य बहुत अधिक चतुराई दिखाता है। बहुत अधिक महत्त्वाकांक्षी हो जाता है, तो वह भटकता रहता है, वह किसी भी काम से संतुष्ट नहीं होता, वह बड़ा बनने की इच्छा से दौड़ता ही रहता है और अपने-आपको विजयी मान लेता है, परंतु उसे कहीं भी सुख नहीं प्राप्त होता।


भगवान जाने इसमें क्या रहस्य है ? किंतु संसार तो दूसरे को मूर्ख बनाने के व्यवसाय पर चल रहा है।

Question:-

रामनिहाल को ब्रजकिशोर बाबू और मोहनलाल के संबंध में किस विशेष बात का पता चला?

Answer:-

जब रामनिहाल, मोहनलाल और उनकी पत्नी मनोरमा के साथ गंगा घाट गए थे, तो उन्हें धीरे-धीरे पता चला कि ब्रजकिशोर बाबू यह चाहते हैं कि मोहनलाल अदालत से पागल मान लिए जाएँ और ब्रजकिशोर उनकी सारी संपत्ति के प्रबंधक बना दिए जाएँ क्योंकि वे ही मोहन बाबू के निकट संबंधी थे।

Question:-

भगवान जाने इसमें क्या रहस्य है ? रामनिहाल ने ऐसा क्यों कहा?

Answer:-

रामनिहाल ने ऐसा इसलिए कहा होगा क्योंकि उसके विचार में यह संसार दूसरों को मूर्ख बनाकर अपना स्वार्थ साधने में लगा हुआ है। ब्रजकिशोर बाबू चाहते हैं कि अदालत में मोहनलाल को पागल मान लिया जाए, तो वे उनकी सारी संपत्ति हड़प सकते हैं क्योंकि वही उनके निकट के संबंधी हैं।

Question:-

मनोरमा ने रामनिहाल को पत्र क्यों लिखे थे ? उन पत्रों को लेकर रामनिहाल को क्या संदेह होने लगा था?

Answer:-

मनोरमा ने रामनिहाल को अपनी सहायता करने के लिए पत्र लिखे थे। उन पत्रों को पाकर रामनिहाल को संदेह हो रहा था कि शायद मनोरमा उससे प्यार करने लगी थी, परंतु संभवत: ब्रजकिशोर की चालाकियों से रक्षा करने के लिए मनोरमा ने रामनिहाल को पत्र लिखे थे।

Question:-

रामनिहाल के हाथ में किसका चित्र था ? चित्र को देखकर श्यामा ने रामनिहाल से क्या कहा?

Answer:-

रामनिहाल के हाथ में श्यामा का चित्र था। रामनिहाल के हाथ में अपना चित्र देखकर श्यामा आश्चर्यचकित रह गई। वह रामनिहाल से बोली कि क्या तुम मुझसे प्रेम करने का लड़कपन करते हो? मनोरमा तुमको प्यार करती है और तुम मुझे। मन के साधन के लिए तुमने अच्छा साधन जुटाया है। तभी कायरों की तरह यहाँ से भागने की तैयारी कर रहे हो।


किशोरी चली गई। अब जैसे सुनने के लिए प्रस्तुत होकर श्यामा एक चटाई खींचकर बैठ गई। उसके सामने छोटी-सी बुद्ध प्रतिमा, सागवान की सुन्दर मेज पर धूप के प्रतिबिम्ब में हँस रही थी।

Question:-

श्यामा ने किशोरी को क्या करने को कहा और क्यों?

Answer:-

श्यामा ने किशोरी को धूप में फैले कपड़ों के पास बैठने के लिए कहा क्योंकि वह रामनिहाल की बातें सुनकर सावधान हो गई थी और उसे लगा होगा कि यह बातें छोटे बच्चों को नहीं सुननी चाहिए।

Question:-

रामनिहाल ने श्यामा को उसकी प्रशंसा में क्या कहा?

Answer:-

रामनिहाल ने श्यामा को उसकी प्रशंसा में कहा कि वह श्यामा का कठोर व्रत, विधवापन का आदर्श देखकर उसके हृदय में विश्वास हुआ है कि मनुष्य अपनी वासनाओं का दमन कर सकता है।

Question:-

रामनिहाल ने अपने विषय में श्यामा को क्या बताया?

Answer:-

रामनिठाल ने बताया कि वह चतुर था इतना चतुर जीता मनुष्य को ना होना चाहिए क्योंकि उसे विश्वास हो गया था कि मैंने उसे अधिक से दूर बनकर अपने को अभागा बना लेता है और भगवान को दया से वंचित हो जाता है।

Question:-

कहानी के आधार पर रामनिहाल का चरित्र चित्रण कीजिए।

Answer:-

राम निहाल महत्वाकांक्षी व्यक्ति है। उन्नतिशील विचारधारा का व्यक्ति है वह भावुक व्यक्ति है क्योंकि वह किसी चित्र को देखकर ‌ रोने लगा था।


मैंने स्वीकार कर लिया। ऑफिस में बैठा रहा। थोड़ी देर में भीतर एक पुरुष के साथ एक सुंदर स्त्री निकली और मैं समझ गया कि मुझे इन्हीं लोगों के साथ जाना है।

Question:-

ब्रजकिशोर बाबू ने रामनिहाल से क्या कहा ?

Answer:-

ब्रजकिशोर बाबुल ने राम निहाल से कहा कि तुम गंगा किनारे टहलने जाते ही हो। आज मेरे एक संबंधी आ गए हैं ।इन्हें भी वहाँ पर घुमा कर ले आओ , मुझे आज छुट्टी नहीं है।

Question:-

ब्रजकिशोर बाबू के कथन पर पुरुष और स्त्री की क्या प्रतिक्रिया थी?

Answer:-

ब्रजकिशोर बाबू के कथन पर पुरुष के मुंँह पर की रेखाएं कुछ तन गई, स्त्री ने अच्छा कह कर कहा कि आप काम कीजिए, हम लोग तब तक घूम के आते हैं।

Question:-

मनोरमा बजरे पर कैसे चढी तथा उसने रामनिहाल से क्या कहा?

Answer:-

मनोरमा बजरे पर रामनिहाल की मदद से चढ़ी थी, उसने रामनिहाल से कहा,” मेरे पति पागल बनाए जा रहे हैं कुछ कुछ है भी तनिक सावधान रहिएगा” ,नाव की बात है।

Question:-

प्रस्तुत कहानी के आधार पर मनोरमा का चरित्र चित्रण कीजिए?

Answer:-

मनोरमा एक संदूर स्त्री है । वह मोहन बाबू की पत्नी है पति पत्नी में वैचारिक मतभेद है , वह पतिव्रता स्त्री है, जो कि अपने पति मोहन बाबू से अत्यंत प्रेम करती है।


“तुम लोगों ने मुझे पागल समझ लिया है, यह मैं जानता हूँ। ओह! संसार की विश्वासघात की ठोकरों ने मेरे हृदय को विक्षिप्त बना दिया है। मुझे उससे विमुख कर दिया है। किसी ने मेरे मानसिक विप्लवों में मुझे सहायता नहीं दी।

Question:-

प्रस्तुत पंक्तियाँ कौन, किससे किस अवसर पर कह रहा है?

Answer:-

प्रस्तुत पंक्तियांँ मोहन बाबू ने अपनी पत्नी मनोरमा को नाव पर कहा था।

Question:-

मोहन बाबू को क्या शक था तथा क्यों?

Answer:-

मोहन बाबू को शक था कि उसकी पत्नी मनोरमा उसे पागल साबित करना चलती है, ऐसा साबित करके वह ब्रज किशोर को उसकी जमीन दे देगी।

Question:-

मोहनबाबू का चरित्र चित्रण कीजिए।

Answer:-

मोहन बाबू एक संदेश करने वाले व्यक्ति थे जिसे अपनी पत्नी पर थोड़ा सा भी विश्वास नहीं था।

Question:-

मोहन बाबू ने संसार तथा मनोरमा के विषय में मनोरमा से क्या कहा?

Answer:-

मोहन बाबू ने संसार के बारे में कहा कि यह है संसार एक धोखे की जगह है जिसमें मोहन बाबू के हृदय को परेशान कर दिया है। उन्होंने मनोरमा के बारे में कहा कि वह ब्रजकिशोर के साथ मिलकर जो उसे पागल करने का षड्यंत्र रच रही है उसे वह समझ गया है।


“कार्तिक की रात चाँदनी से शीतल हो चली थी। नाव मानमंदिर की ओर घूम चली। मैं मोहनबाबू के मनोविचार के सम्बन्ध में सोच रहा था। कुछ देर चुप रहने के बाद मोहनबाबू फिर अपने आप से कहने लगे।

Question:-

रामनिहाल ने माँझी से क्या कहा तथा क्यों?

Answer:-

रामनिहल ने मांँझी से कहा कि वह अब घूम चले, क्योंकि वह मोहन बाबू की बातें सुनकर सावधान हो गया है।

Question:-

मनोरमा पर मोहनबाबू ने क्या आरोप लगाया तथा मनोरमा ने उनसे क्या कहा?

Answer:-

मनोरमा पर मोहनबाबू ने आरोप लगाया कि वह ब्रजकिशोर के साथ मिलकर उसे पागल सिद्ध करना चाहती है, यह सुनकर मनोरमा ने उनसे कहा कि वह उसके बारे में व्यर्थ में संदेह कर रहे हैं।

Question:-

मनोरमा के परेशान होने पर मोहनबाबू ने क्या किया? इस बीच रामनिहाल ने क्या अनुभव किया?

Answer:-

मनोरमा के परेशान होने पर मोहन बाबू कहने लगे, तुम्हारा अपमान होता है, सबके सामने मुझे यह बात नहीं करनी चाहिए। यह मेरा अपराध है ,मुझे क्षमा करो। इस बीच रामनिहाल ने अनुभव किया कि मनोरमा उसे मदद लेना चाहती है।

Question:-

रामनिहाल क्या सोच रहा था। घृष्टता से उसने मन में क्या सोचा तथा क्यों?

Answer:-

राम निहाल ने सोचा कि जब वह संदेहभार पीड़ित स्त्री उसकी तरफ देखकर कहती हो कि ‘आप देखते हैं ना ‘तो रामनिहाल को लगता था कि मानो वह उस से प्रार्थना करती थी कि कुछ मत देखो क्योंकि मनोरमा का व्यंग एक हंसी की बात नहीं है।


“मुझे धीरे-धीरे मालूम हुआ कि ब्रजकिशोर बाबू चाहते हैं कि मोहनलाल अदालत सेपागल मान लिए जाएँ और ब्रजकिशोर उनकी सम्पत्ति के प्रबन्धक बना दिए जाएँ क्योंकि वे हीमोहनलाल के निकट संबंधी थे।”

Question:-

श्यामा को ब्रजकिशोर के विषय में रामनिहाल ने क्या बताया?

Answer:-

श्यामा को ब्रजकिशोर के विषय में राम निहाल ने बताया कि ब्रजकिशोर अदालत में मोहनलाल को पागल साबित करना चाहता है, ताकि मोहनलाल की सारी संपत्ति के प्रबंधक वह बन जाए।

Question:-

श्यामा ने जब तीखी दृष्टि से राम निहाल की ओर देखा तो रामनिहाल ने क्या कहा?

Answer:-

राम निहाल ने कहा कि क्या श्यामा तुमको भी संदेह हो रहा है,सो ठीक है, उसे भी कुछ संदेह हो रहा है कि मनोरमा उसे क्यों इस समय बुला रही है।

Question:-

श्यामा ने हँसकर रामनिहाल से क्या कहा?

Answer:-

श्यामा ने हंँसकर कहा- रामनिहाल क्या तुम्हें लगता है कि मनोरमा तुमसे प्यार करती हो और वह दुष्टचरित्र महिला है।

Question:-

रामनिहाल के हाथ में किसका चित्र था? चित्र देखकर श्यामा ने रामनिहाल से क्या कहा?

Answer:-

रामनिहाल के हाथ में श्यामा का चित्र था। चित्र देखकर श्यामा ने रामनिहाल से कहा कि तुम मुझसे प्रेम करने के बड़प्पन में पड़ गए हो।


“प्यार करना बड़ा कठिन है। तुम इस खेल को नहीं जानते। इसके चक्कर में पड़ना भी मत हाँ एक दुखिया स्त्री तुमको अपनी सहायता के लिए बुला रही है। जाओ उसकी सहायता करके लौट आओ तुम्हारा सामान यहीं रहेगा।”

Question:-

प्रस्तुत पंक्तियाँ कौन, किससे, किस अवसर पर कह रहा है?

Answer:-

प्रस्तुत पंक्तियाँ श्यामा ने रामनिहाल से कही है। क्योंकि रामनिहाल को एक दुखिया स्त्री की मदद करनी चाहिए, लेकिन वह तो बोरिया बिस्तर बांधकर भागना चाहता है।

Question:-

रामनिहाल को किससे, किसकी रक्षा के लिए कहा तथा क्यों?

Answer:-

श्यामा ने रामनिहाल को ब्रजकिशोर से मनोरमा की रक्षा करने के लिए कहा- क्योंकि उसे रामनिहाल की मदद की आवश्यकता थी।

Question:-

यह सब तुम्हारा भ्रम था। पंक्ति से क्या तात्पर्य है?

Answer:-

इस पंक्ति से तात्पर्य है कि हमें बेकार के संदेह नहीं पाल लेने चाहिए, जैसे कि रामनिहाल ने मनोरमा के विषय में सोच लिया था कि वह उससे प्रेम करते हैं।

Question:-

प्रस्तुत कहानी से क्या शिक्षा मिलती है?

Answer:-

प्रस्तुत कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें बेकार की बातों के बारे में नहीं सोचना चाहिए क्योंकि इन बेकार की बातों से हमें किसी पर संदेह हो सकता है, इस संदेह के कारण हमारे रिश्ते खराब हो सकते हैं और इस संदेश से हमें मानसिक तनाव हो सकता है।

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FAQs

रामनिहाल कहाँ और क्यों जाने के लिए सामान बाँध रहा था?

रामनिहाल मनोरमा की सहायता करने पटना जाने के लिए सामान बाँध रहा था।

रामनिहाल के हाथों में क्या था?

रामनिहाल के हाथों में एक कागजों क बण्डल था, जिसे वह संदूक में रखने से पहले खोलना चाहता था।

किशोरी ने शोर क्यों मचाया तथा किसे बुलाया?

किशोरी से जब राम निहाल को रोते हुए देखा तो उसने श्यामा को शोर मचा कर बुलाया।

मोहन बाबू की पत्नी मनोरमा किससे सहायता माँगती है?

मोहन बाबू की पत्नी मनोरमा रामनिहाल से सहायता माँगती है।

MCQs

Sandeh Sahitya Sagar कहानी के लेखक कौन है?





ANSWER= जयशंकर प्रसाद

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