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Netaji ka chashma पाठ का सार class 10 | Netaji ka Chashma Summary
Netaji ka Chashma Summary class 10 के लिए पाठ सारांश नीचे दिया गया है।
हालदार साहब को हर पंद्रहवें दिन कंपनी के काम से एक कस्बे से गुजरना पड़ता था। कस्वा बहुत बड़ा नहीं था। लेकिन उसमें एक लड़कों का स्कूल, एक लड़कियों का स्कूल, एक कारखाना, दो ओपन एयर सिनेमाघर और एक नगरपालिका भी थी। अब नगरपालिका थी, तो कुछ न कुछ करती भी रहती थी। इसी नगरपालिका के किसी उत्साही बोर्ड या प्रशासनिक अधिकारी ने एक बार मुख्य बाजार के मुख्य चैराहे पर नेताजी सुभाषचंद्र बोस की एक संगमरमर की प्रतिमा गवा दी। अच्छी मूर्ति की लागत अनुमान और उपलब्ध बजट से कहीं ज्यादा हो रही थी। अंत में कस्बे के इकलौते हाईस्कूल के ड्राइंग मास्टर को मूर्ति बनाने का काम सौंपा गया। मूर्ति सुंदर थी। केवल एक चीज की कसर थी। नेताजी की आँख पर चश्मा नहीं था।
एक सचमुच के चश्मे का चैड़ा काला फ्रेम मूर्ति को पहना दिया गया था। हालदार साहब ने पहली बार मूर्ति को देखा तो सोचा- वाह भई यह आइडिया भी ठीक है। मूर्ति पत्थर की , लेकिन चश्मा रियत्र। दूसरी बार हालदार साहब कस्वे से गुजरे तो मूर्ति पर तार के फ्रेम वाला गोल चश्मा था। तीसरी बार फिर नया चश्मा था। इस बार वे पानवाले से पूछ ही वैठे कि नेताजी का चश्मा हर बार बदल केसे जाता है। पानवाले ने बताया कि केप्टन चश्मेवाला ऐसा करता है। हालदार साहब समझ गए कि चश्मेवाले को नेताजी की मूर्ति विना चश्मे के बुरी लगती होगी, इसलिए अपने उपलब्ध फ्रेमों में से एक को वह नेताजी की मूर्ति पर फिट कर देता होगा। जब किसी ग्राहक को वैसा ही फ्रेम चाहिए होता है जैसा कि मूर्ति पर लगा है , तो केटन वह फ्रेम मूर्ति से उतारकर ग्राहक को देता है और मूर्ति पर नया फ्रेम लगा देता है। किसी कारणवश मूर्ति के लिए ओरिजनल चश्मा बना ही न था।
हालदार साहब ने पानवाले से जानना चाहा कि केप्टन चश्मेवाला नेताजी का साथी है या आजाद हिंद फौज का भूतपूर्व सिपाही? उसने बताया कि वह लँगड़ा क्या फौज में जाएगा। यह तो उसका पागलपन है। हालदार साहब को पानवाले द्वारा एक देशभक्त का मजाक उड़ाया जाना अच्छा नहीं लगा। केप्टन चश्मेवाले की दुकान नहीं थी, वह फेरी लगाकर चश्मे बेचता था। दो सात्र के भीतर हालदार साहब ने नेताजी की मूर्ति पर कई तरह के चश्मे लगे देखे। एक बार जब हालदार साहब कस्वे से गुजरे, तो मूर्ति पर कोई चश्मा नहीं था। पूछने पर पता चला कि कैप्टन मर गया। उन्हें बहुत दुख हुआ। पंद्रह दिन बाद कस्वे से गुजरे, तो सोचा कि वहाँ नहीं रुकेंगे, पान भी नहीं खाएँगे, मूर्ति की ओर देखेंगे भी नहीं। लेकिन आदत से मजबूर चैराहा आते ही आँखें मूर्ति की ओर उठ गई। वे जीप से उतरे और मूर्ति के सामने जाकर खड़े हो गए। मूर्ति की आँखों पर सरकंडे से वना छोटा – सा चश्मा रखा था, जैसा बच्चे बना लेते हैं। यह देखकर हालदार साहब की आँखें भर आई।
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लेखक परिचय
इस पाठ के लेखक स्वयं प्रकाश हैं। इनका जन्म सन 1947 में इंदौर (मध्य प्रदेश) में हुआ। मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढाई कर एक औद्योगिक प्रतिष्ठान में नौकरी करने वाले स्वंय प्रकाश का बचपन और नौकरी का बड़ा हिस्सा राजस्थान में बिता। फिलहाल वे स्वैछिक सेवानिवृत के बाद भोपाल में रहते हैं और वसुधा सम्पादन से जुड़े हैं। कहानी संग्रह – सूरज कब निकलेगा, आएँगे अच्छे दिन भी, आदमी जात का आदमी, संधान, Netaji ka chashma Class 10 आदि| उपन्यास – बीच में विनय और ईंधन।
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Netaji ka Chashma class 10 Question Answer
निम्नलिखित प्रश्नों के संक्षिप्त उत्तर दीजिए।
हालदार साहब को हर पंद्रहवें दिन कंपनी के काम के सिलसिले में उस कस्बे से गुजरना पड़ता था।
Question:-
कस्बे की क्या-क्या विशेषताएँ थी?
Answer:-
कस्बा कुछ बड़ा नहीं था जिसमें कुछ ही पक्के मकान थे दो सिनेमाघर एक बाजार लड़के और लड़कियां के स्कूल सीमेंट का कारखाना तथा एक नगरपालिका थी।
Question:-
‘नगरपालिका भी कुछ-न-कुछ करती रहती थी स्पष्ट कीजिए।
Answer:-
नगरपालिका भी कुछ ना कुछ कराती रहती थी कभी कोई सड़क पक्की करवा दी, कभी कुछ पेशाब खाना बनवा दिया, कभी कबूतरों की छतरी बनवा दिए, तो कभी कवी सम्मेलन करवा दिया करते थे।
Question:-
सुभासचंद्र बोस की प्रतिमा किसने, कहाँ लगवाई ? काम किसे सौंपा गया और क्यों?
Answer:-
एक बार नगरपालिका के एक उत्साही अधिकारी ने मुख्य बाजार के चौराहे पर सुभाष चंद्र बोस की संगमरमर की प्रतिमा लगवाई थी। चुकी बजट ज्यादा नहीं था इसलिए मूर्ति बनाने का काम कस्बे के इकलौते हाई स्कूल के शिक्षक को सौंपा गया मूर्ति सुंदर बनी थी बस एक चीज की कमी थी नेताजी की आंख पर चश्मा नहीं था।
Question:-
नेताजी की मूर्ति की क्या विशेषताएँ थीं ? मूर्ति में किस चीज की कमी थी?
Answer:-
मूर्ति संगमरमर की थी। टोपी की नोक से कोट के दूसरे बटन तक कोई दो फुट ऊंची। जिसे कहते हैं बस्ट और सुंदर थी । नेताजी सुंदर लग रहे थे कुछ कुछ मासूम और कमसिन। फौजी वर्दी में मूर्ति को देखते ही “दिल्ली चलो” और “तुम मुझे खून दो…” वगैरा याद आने लगते थे। इस दृष्टि से असफल और सहनीय प्रयास था। केवल एक चीज की कमी थी जो देखते ही खटकठ थी नेताजी की आंखों पर चश्मा नहीं था। यानी चश्मा को था लेकिन संगमरमर का नहीं था एक समान और सचमुच के चश्मे का चौड़ा कला फ्रेम मूर्ति को पहना दिया गया था।
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क्या मतलब ? Netaji ka Chashma क्यों चेंज कर देता है? हालदार साहब अब भी नहीं समझ पाए?
Question:-
पानवाले ने कैप्टन चश्मेवाले द्वारा नेताजी की मूर्ति का चश्मा चेंज करने के संबंध में क्या बताया?
Answer:-
उसने बताया कि जब कोई ग्राहक को मूर्ति पर बने चौड़ा फ्रेम वाला चश्मा चाहिए तो कैप्टन दूसरा कहा से लाए इसलिए कैप्टन चश्मेवाले वह मूर्ति वाला फ्रेम उतारकर उसे दे देता है और वहां दूसरा फ्रेम लगा देते हैं।
Question:-
पानवाले की बात सुनकर भी हालदार साहब को कौन-सी बात अभी भी समझ में नहीं आई?
Answer:-
पानवाले की बात सुनकर भी हालदार साहब को यह बात समझ नहीं आई कि नेताजी का ओरिजिनल चश्मा कहां है उन्हे क्यू सचमुच वाले चश्मे पहनाए जाते है जो बार बार बदलना पड़ जाता है।
Question:-
पानवाले ने हालदार साहब की बात का क्या उत्तर दिया? उसका उत्तर उसके लिए तथा साहब के लिए अलग-अलग किस प्रकार था?
Answer:-
पानवाले ने हालदार साहब की बात सुनकर आंखों आंखों में मुस्कुराए और कहा कि मास्टर बनाना भूल गया। पानवाले के लिए यह मजेदार बात थी लेकिन हालदार साहब के लिए चकित और द्रव करने वाली।
Question:-
मूर्ति बनानेवाले के संबंध में हालदार साहब के मन में किस प्रकार के भाव जाग्रत हुए?
Answer:-
हालदार साहब ने सोचा बेचारे ने महीने भर में मूर्ति बनाकर पटक देने का वादा कर दिया होगा बना भी ली होगी लेकिन पत्थर में पारदर्शी चश्मा कैसे बनाया जाए कांचवाला या तय नहीं कर पाया होगा यह कोशिश की होगी और असफल रहा होगा। या बनाते-बनाते कुछ और बारीकी के चक्कर में चश्मा टूट गया होगा यह पत्थर का चश्मा अलग से बनाकर फिट किया होगा और वह निकल गया होगा।
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नहीं साब, वो लँगड़ा क्या जाएगा फ़ौज में? पागल है, पागल। वो देखो वो आ रहा है। आप उसी में बात कर लो। फ़ोटो-वोटो छपवा दो उसका कहीं।’
Question:-
हालदार साहब को पानवाले की कौन-सी बात अच्छी नहीं लगी और क्यों?
Answer:-
हालदार साहब के पूछने पर क्या कैप्टन चश्मे वाला नेता जी का साथी है यह आजाद हिंद का फौजी का भूतपूर्व सिपाही इस बात पर पान वाले ने कहा नहीं साहब वह लंगड़ा क्या जाएगा फौज में पागल है पागल । हालदार साहब को यही पान वाले की बात अच्छी नहीं लगी। क्योंकि उन्हें लगा कि एक देशभक्त का इस तरह मजाक उड़ाना अच्छी बात नहीं है।
Question:-
सेनानी न होने पर भी चश्मेवाले को कैप्टन क्यों कहा जाता था ? सोचकर लिखिए।
Answer:-
चश्मे वाला कभी सेना में नहीं था,ना ही कभी उसने स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया वह बेचारा तो खुद अपाहिज था परंतु नेता जी की मूर्ति पर चश्मा बदलता रहता था वह अपनी तरफ से नेताजी को चश्मा लगाता था। यह सब देखकर लगता था कि वह नेताजी का साथी अथवा फौज का कैप्टन था।
Question:-
चश्मेवाले को देखकर हालदार साहब अवाक् क्यों रह गए ? चश्मेवाले का परिचय दीजिए।
Answer:-
कैप्टन चश्मेवाले को देखकर हालदार साहब अवाक रह गए क्योंकि वह एक बूढ़ा मरियल सा लँगडा आदमी था। सिर पर गांधी टोपी, आँखों पर काला चश्मा लगाए एक हाथ में संदूकची और दूसरे हाथ में एक बाँस पर टँगे चश्मे लिए आ रहा था। इनके लिए अपनी दुकान भी नहीं थी बहुत से वह फेरी लगाकर अपने चश्मे को बेचता था। वह अपने चश्मे बेचने के साथ-साथ देशभक्ति भी था इसलिए बिना चश्मे के नेताजी की मूर्ति के लिए रियल चश्मा पहना दिया था और ग्राहकों की मर्जि के अनुसार इस चश्मे को बदलता भी रहता था।
Question:-
हालदार साहब पानवाले से क्या पूछना चाहते थे और क्यों? पानवाले ने उनकी बात पर क्या प्रतिक्रिया व्यक्त की?
Answer:-
हालदार साहब पान वाले से यह पूछना चाहते थे कि कैप्टन चश्मे वाले का असली नाम क्या है इसे कैप्टन कह कर क्यों पुकारते हैं। पानवाले ने उनकी बात पर प्रतिक्रिया देते हुए साफ़ बता दिया था कि अब वह इस बारे में और बात करने को तैयार नहीं।
‘बार-बार सोचते, क्या होगा उस कौम का, जो अपने देश की खातिर घर गृहस्थी, जवानी जिंदगी सब कुछ होम कर देने वालों पर भी हँसती है और अपने लिए बिकने के मौके ढूँढ़ती है ?’
Question:-
उपर्युक्त कथन का आशय स्पष्ट कीजिए।
Answer:-
इस कथन के द्वारा यह पता चलता है कि अपने देश की रक्षा करने के लिए बहुत लोग अपने घर परिवार को छोड़कर, अपनी हर खुशी को त्याग दिया तथा अपना सर्वस्व देश के प्रति समर्पित कर आजादी के आंदोलन में भाग लिए। लेकिन आजकल इस प्रकार कोई करने के लिए सोचता है तो उसे देखकर लोग हंसने के लिए तैयार होते है तो लोग उनकी देशभक्ति पर हँसते हैं। ऐसे लोग सिर्फ़ अपने बारे में सोचते हैं । पहले देश की रक्षा करने के लिए जान शान की बात मानते थे परंतु आजकल मजबूरी मानते हैं।
Question:-
हालदार साहब को कैप्टन चश्मेवाला देशभक्त क्यों लगा? स्पष्ट कीजिए।
Answer:-
हालदार साहब को कैप्टन चश्मे वाले एक देशभक्त इसलिए लगा क्योंकि इस कस्बे के चौराहे पर सुभाष चंद्र बोस की मूर्ति में चश्मा नहीं था उस कस्बे के लोग इसे देख कर भी अनदेखा कर के रहने लगे थे लेकिन कैप्टन को नेता जी की बिना चश्मे वाली मूर्ति अच्छी नहीं लगती थी। तो उससे रियल चश्मा पहना दिया और अपने देश के बड़े क्रांतिकारी के प्रति देश भक्ति प्रकट की और चश्मा बेचने वाले होने पर भी देश भक्ति प्रकट करने के लिए के कारण हालदार साहब उसे सच्चा देशभक्त मानते थे।
Question:-
पंद्रह दिन बाद जब हालदार साहब उस कस्बे से गुज़रे तो उनके मन में कौन-कौन से विचार आ रहे थे?
Answer:-
पंद्रह दिन बाद जब हालदार साहब उस कस्बे से गुजरे तो उनके में मन में विचार आया कि सुभाष चंद्र की प्रतिमा अवश्य ही अपने स्थान पर प्रस्थापित होगी। लेकिन सुभाष की आंखों पर चश्मा नहीं होगा क्योंकि मास्टर बनाना भूल गया और कैप्टन मर गया सोचा वहां आज रुकेंगे नहीं पान भी नहीं खाएंगे मूर्ति की तरफ देखेंगे भी नहीं।
Question:-
चौराहे पर रुकते हुए हालदार साहब क्या देखकर भावुक हो गए और क्यों?
Answer:-
हालदार साहब 15 दिन बाद जाते समय यह निर्णय कर चुके थे कि उस चौराहे पर नहीं उतरेंगे जहां पर बिना चश्मे की मूर्ति है लेकिन आदत से मजबूर आंखें चौराहे आते हैं मूर्ति की तरफ उठ गई कुछ ऐसा देखा कि ड्राइवर को तुरंत गाड़ी रोकने के लिए कहा फिर फिर गाड़ी से तुरंत कूदकर मूर्ति की ओर जाते हैं और देखते हैं कि नेता जी की आंखों पर सरकंडे का बना छोटा सा चश्मा रखा हुआ है जो बच्चें बना लेते है और इसे देखकर हालदार साहब भावुक हो जाते हैं कि अभी भी बच्चो में देशभक्ति मौजूद है।
More About Netaji ka Chashma Question Answer
Question:-
Netaji ka chashma Class 10 पाठ में सेनानी न होते हुए भी चश्मेवाले को लोग कैप्टन क्यों कहते थे?
Answer:-
चश्मेवाला स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने वाले सैनिकों व नेताओं का अपने हृदय से सम्मान करता था और उसे नेताजी को बिना चश्मे के देखना कतई पसंद नहीं था। वह खुद भी देशप्रेम की भावना से ओत-प्रोत था। उसके अंदर देशभक्ति की इसी भावना को देख लोग उसे ” कैप्टन” बुलाते थे।
Question:-
मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा क्या उम्मीद जगाता है?
Answer:-
मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा यह उम्मीद जगाता है कि हमारे देश के लोगों खासकर युवा और बच्चों के अंदर देशभक्ति की भावना अभी भी बरकरार है। और यही युवा और बच्चे किसी भी देश का भविष्य होते हैं। अगर इनके अंदर अपने देश के लिए प्रेम व सम्मान है , तो हमारे देश का भविष्य उज्जवल व सुरक्षित है।
Question:-
पानवाले का एक रेखाचित्र प्रस्तुत कीजिए।
Answer:-
पानवाला काला , मोटा व खुशमिज़ाज व्यक्ति था। उसकी तोंद निकली हुई थी और वह हर वक्त पान खाता रहता था जिससे उसके दाँत लाल-काले हो गये थे। वह अपनी दुकान में आने वाले ग्राहकों से खूब बातें किया करता था।
Question:-
हालदार साहब हमेशा चौराहे पर रुकते और नेताजी को निहारते।
Answer:-
हालदार साहब का चौराहे पर रुकना और नेताजी की मूर्ति को निहारना दर्शाता है कि उनके दिल में भी देशप्रेम का जज्बा प्रबल था और वो अपने देश के स्वतंत्रता सेनानियों का दिल से सम्मान करते थे। उन्हें नेताजी की मूर्ति पर चश्मा देखना अच्छा लगता था। वो नेताजी की मूर्ति पर चश्मा लगाने वाले कैप्टन की देशभक्ति से बहुत प्रभावित थे और वो उसका व उसकी देशभक्ति का दिल से सम्मान करते थे।
Question:-
पानवाला उदास हो गया।
Answer:-
कैप्टन की मृत्यु पर पानवाले का उदास हो जाना और उसकी आंखों में आंसू का आ जाना , इस बात का संकेत देता है कि पानवाला भी कहीं न कहीं कैप्टन और उसकी देशभक्ति का सम्मान करता था।
Question:-
नेताजी की मूर्ति लगाने के क्या उद्देश्य हो सकते हैं?
Answer:-
इस तरह की मूर्तियां को लगाने का मुख्य उद्देश्य यह होता है कि सभी लोग खासकर युवा पीढ़ी व बच्चे उस व्यक्ति के महान कार्यों के बारे में जानें और समझें । हमेशा उन्हें सम्मान के साथ याद करें और उनसे प्रेरणा लेकर समाजहित और राष्ट्रहित में कार्य करें।
Netaji ka Chashma MCQs
नेताजी की मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा किसने लगाया होगा?
चश्मेवाले के प्रति पानवाले के मन में कैसी भावना थी?
किसे देखकर हवलदार के चेहरे पर कौतुकभरी मुस्कान फ़ैल गई?
चश्मेवाले को पानवाला क्या समझता था?
एक बार कस्बे से गुजरते समय हवलदार को मूर्ति में क्या अंतर दिखाई दिया?
नेताजी की बगैर चश्मे वाली मूर्ति किसे बुरी लगती थी?
पहली बार कस्बे से गुजरने पर हवलदार मूर्ति पर क्या देखकर चौंके?
हवलदार का स्वभाव कैसा था?
हवलदार साहब किस बात पर दुखी हो गए?
नेताजी की मूर्ति की ऊँचाई कितनी थी?
नेताजी की प्रतिमा किस वर्दी में थी?
हालदार साहब क्या देखकर दुखी हुए थे?
‘नेताजी का चश्मा’ नामक कहानी में देशभक्तों का अनादर करने वाले पात्र कौन हैं?
‘नेताजी का चश्मा’ शीर्षक पाठ का मूल भाव क्या है?
नेताजी की मूर्ति पर सरकंडे के चश्मे को देखकर क्या उम्मीद जगती है?
इस पाठ में पानवाले के चरित्र की प्रमुख विशेषता क्या दिखाई गई है?
‘वो लँगड़ा क्या जाएगा फ़ौज में। पागल है पागल!’-ये शब्द किसने कहे हैं?
‘नेताजी का चश्मा’ पाठ के लेखक का क्या नाम है?
हालदार साहब कस्बे में क्यों रुकते थे?
नेताजी सुभाषचंद्र बोस की प्रतिमा किसने बनाई थी?
ड्राइंग मास्टर का क्या नाम था?
कस्बे में कितने स्कूल थे?
सुभाषचंद्र बोस की प्रतिमा किस वस्तु की बनी थी?
मूर्ति-निर्माण में नगरपालिका को देर क्यों लगी होगी?
‘मूर्ति बनाकर पटक देने’ का क्या भाव है?
मूर्ति की ऊँचाई कितनी थी?
‘तुम मुझे खून दो’ नेताजी का यह नारा हमें क्या प्रेरणा देता है?
सुभाषचंद्र बोस की प्रतिमा में क्या कमी रह गई थी?
सुभाषचंद्र बोस की प्रतिमा पर चश्मा किसने लगाया था?
अंतिम बार हालदार साहब ने नेताजी की मूर्ति पर कौन-सा चश्मा देखा था?
हालदार साहब पहले मायूस क्यों हुए थे?
हालदार साहब किसे देखकर आवाक् रह गए थे?
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कस्बे की क्या-क्या विशेषताएँ थी?
कस्बा कुछ बड़ा नहीं था जिसमें कुछ ही पक्के मकान थे दो सिनेमाघर एक बाजार लड़के और लड़कियां के स्कूल सीमेंट का कारखाना तथा एक नगरपालिका थी।
चश्मेवाले को पानवाला क्या समझता था?
चश्मेवाले को पानवाला पागल समझता था।
नेताजी की बगैर चश्मे वाली मूर्ति किसे बुरी लगती थी?
नेताजी की बगैर चश्मे वाली मूर्ति चश्मे वाले को बुरी लगती थी।