बात अठन्नी की Workbook Solution | ICSE Sahitya Sagar Baat Athanni Ki Solution

बात अठन्नी की Sahitya Sagar Workbook Solution

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Table of Contents

“अगर तुम्हें कोई ज़्यादा दे, तो अवश्य चले जाओ। मैं तनख्वाह नहीं बढ़ाऊँगा।”

वक्ता कौन है? उसका परिचय दीजिए। उसने उपर्युक्त वाक्य किस संदर्भ में कहा है?

वक्ता बाबू जगत सिंह जो की पेशे से इंजीनियर हैं।

समाज में बाबू जगत सिंहका सम्मान है, परंतु वे रिश्वतखोर और कठोर हृदय वाले व्यक्ति हैं। रसीला के बार-बार वेतन बढ़ाने की प्रार्थना के संदर्भ में उपर्युक्त वाक्य कहा गया है। रसीला बाबू जगत सिंह के यहां नौकर था। उसकी ₹10 वेतन थी। गांव में उसके बूढ़े पिता, पत्नी, एक लड़की और दो लड़के थे इन सब का भार उसी के कंधो पर था वह सारी तनख्वाह घर भेजता पर घर वालों का गुजारा ना चल पाता इसीलिए वह इंजीनियर साहब से बाहर वेतन बढ़ाने की प्रार्थना कर रहा था।

श्रोता कौन है? उसने तनख्वाह बढ़ाने की प्रार्थना क्योंकि?

श्रोता रसीला है जो इंजीनियर बाबू जगत सिंह के यहां नौकर था। उसने तनख्वाह बढ़ाने की प्रार्थना इसलिए की क्योंकि उसके वेतन से उसके परिवार का खर्च नहीं चल पा रहा था, गांव में उसके बूढ़े पिता, पत्नी, एक लड़की और दो लड़के थे इन सब का भार उसी के कंधो पर था वह सारी तनख्वाह घर भेजता पर घर वालों का गुजारा ना चल पाता।

वेतन ना बढ़ने पर भी रसीला बाबू जगत सिंह की नौकरी क्यों नहीं छोड़ना चाहता था?

रसीला सोचता था की अमीर लोग नौकरों पर विश्वास नहीं करते पर मुझ पर यहां किसी ने भी संदेश नहीं किया। यहां मैं इतने सालों से काम कर रहा हूं यहां से जाऊं तो शायद कोई 11, 12 दे दे पर ऐसा आदर ना मिलेगा इसी कारण वेतन ना बढ़ने पर भी रसीला बाबू जगत सिंह की नौकरी नहीं छोड़ता था।

रसीला को रुपयों की आवश्यकता क्यों थी? उसकी सहायता किसने की? सहायता करने वाले के संबंध में उसने क्या विचार किया?

रसीला के घर उतने वेतन में नहीं चल पा रहा था उसके बच्चे बताया था किसके बच्चे बीमार हैं और रुपया नहीं है मालिक से पेंशन मांगने के बाद भी कोई सहायता ना मिली उसकी सहायता रमजान ने की l जो जिला मजिस्ट्रेट शेख सलीमुद्दीन का चौकीदार था l रमजान और रसीला में बहुत मैत्री थी

रसीला ने सोचा बाबू साहब की मैंने बाबू साहब की इतनी सेवा की पर दुख में उन्होंने साथ ना दिया रमजान को देखो गरीब है परंतु आदमी नहीं देवता है l

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बाबू साहब की मैंने इतनी सेवा की पर दुख में उन्होंने साथ नहीं दिया

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बाबू साहब कौन थे उनका परिचय दीजिएl

बाबू साहब, बाबू जगत सिंह हैं। जो कि पेशे से इंजीनियर हैं। बहुत कठोर रिश्वतखोर और कंजूस व्यक्ति थे। 1 लोगों का काम करवाने के लिए मोटी रिश्वत लिया करते थे।

उनका व्यवहार अपने नौकर के साथ बुरा था। (2 मार्क्स के question के लिए इतना answer enough है अगर यह तीन नंबर के मार्क्स में आए तो आप वह incidence एलेबोरेट कर सकते हैं जहां पर रसीला को जेल हुआ है उसमें दिखा सकते हैं कि बाबू साहब ने उसके साथ कैसे व्यवहार किया और उसे कैसे जेल भिजवा दिया)।

वक्ता को कितना वेतन मिलता था उसमें उसका गुजारा क्यों नहीं हो पाता था?

वक्‍ता रसीला इंजीनियर बाबू जगत सिंह के यहाँ काम करता था। उसका वेतन दस रुपए मासिक था। गाँव में उसके बूढ़े पिता, पत्नी, एक लड़की और दो लड़के थे।इन सबका भार उसी के कंधों पर था। वह अपनी सारी तनख्वाह घर भेज देता था, परंतु बड़ा परिवार होने और बच्चों का बीमार हो जाना के कारण उनका गुज़ारा नहीं हो पाता था।

बाबू साहब द्वारा वक्ता का वेतन ना बढ़ाने जाने पर भी वह कहीं और नौकरी क्यों नहीं करना चाहता था?

रसीला सोचता था की अमीर लोग नौकरों पर विश्वास नहीं करते पर मुझ पर यहां किसी ने भी संदेश नहीं किया। यहां मैं इतने सालों से काम कर रहा हूं यहां से जाऊं तो शायद कोई 11, 12 दे दे पर ऐसा आदर ना मिलेगा इसी कारण वेतन ना बढ़ने पर भी रसीला बाबू जगत सिंह की नौकरी नहीं छोड़ता था।

वक्ता की परेशानी को किसने, किस प्रकार हल किया? इससे उसके चरित्र की किस विशेषता का पता चलता है?

वक्ता की परेशानी को उसके मित्र रमजान ने हल किया। रमजान ने रसीला को उदास देखकर कारण पूछा रमज़ान के हट पे रसीला ने अपने पैसे की तंगी के बारे में बताया कि तनख्वाह ज़्यादा ना होने पर और मालिक के द्वारा तनख्वाह ना बढ़ाने पर उसे अपने परिवार चलना में दिकत हो रही है। साथ ही उसके बच्चे की भी तबियत खराब होगया। रमजान यह सुनकर रसीला को कुछ रुपए देकर परेशानी को हल किया

रमजान शेख शमसुद्दीन का चौकीदार था। वह रसीला का अच्छा दोस्त था। वह बहुत साफ मन का व्यक्ति था। खुद गरीब होते हुए भी उसने संकट के समय रसीला को पैसे उधार दिए थे।


‘बस पाँच सौ ! इतनी-सी रकम देकर आप मेरा अपमान कर रहे हैं।’ ‘हुजूर मान जाइए। आप समझें आपने मेरा काम मुफ़्त किया है।’

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वक्ता और श्रोता कौन-कौन हैं? उनके कथन का संदर्भ स्पष्ट कीजिए।

वक्ता इंजीनियर बाबू जगत सिंह हैं और श्रोता जिस से रिश्रवत ली जा रही थी। और रसीला भी है क्योंकि यह चुपके उनकी बातें सुन रहा था।

उपर्युक्त कथन इस संदर्भ में कहा गया है कि बाबू जगत सिंह से काम करवाने के लिए ₹500 का रिश्वत दे रहा था जिस पर इंजीनियर साहब कहते हैं कि इतने कम यह रकम देकर आप मेरा अपमान कर रहे हैं जिस पर वह व्यक्ति कहता है कि हुजूर मान जाइए आप समझ गए कि मेरा काम मुफ्त किया है आपने।

रसीला उनकी बातचीत को सुनकर क्या समझ गया और क्या सोचने लगा?

रसीला समझ गया कि भीतर रिश्वत ली जा रही है वह यह सोचने लगा कि रुपए कमाने का यह कितना आसान तरीका है मैं सारा दिन मजदूरी करता हूं तब महीने भर बाद ₹10 हाथ आते हैं वह बाहर आया और रमजान को सारी बात सुनाने लगा।

आप मेरा अपमान कर रहे हैं। कथन से वक्ता का क्या संकेत था? स्पष्ट कीजिए।

इस कथन में वक्ता इंजीनियर बाबू जगतसिंह का आशय रिश्वत की मांग करने से है। वह किसी व्यक्ति का काम करने के लिए रिश्वत मांगते हैं और उन्हें ₹500 रिश्वत लेना अपमान समझते हैं उनका सोचना था कि इतनी छोटी रकम लेना अपमानजनक है उनके लिए।

उपर्युक्त पंक्तियों में समाज में व्याप्त किस बुराई की ओर संकेत किया गया है? इस बुराई का समाज पर क्या प्रभाव पड़ता है?

कहानी में न्याय व्यवस्था पर करारा व्यंग्य किया गया है साथ ही समाज के उच्च तथा प्रतिष्ठित पदों पर आसीन लोगों पर भी प्रहार किया गया है जो रिश्वत लेकर भी सम्मानित जीवित जीवन व्यतीत करते हैं लेखक ने इस कहानी के माध्यम से यह बताने की कोशिश की गई है कि समाज का अमीर वर्ग चाहें तो पाँच सौ या हज़ार की रिश्‍वत ले लें परंतु उसके प्रति कोई कार्यवाही नहीं की जाती है। जबकि एक निर्धन व्यक्ति केवल एक अठन्नी की हेरा-फेरी अपना कर्ज चुकाने लिए करता है तो उसे 6 महीने के कारागार का डंड भोगने पर मजबूर है।


बस इतनी सी बात! हमारे शेख साहब तो उनके भी गुरु हैं।

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वक्ता और श्रोता कौन-कौन हैं? दोनों का परिचय दीजिए।

वक्ता रमजान है तथा श्रोता रसीला है। रमजान शेख शमसुद्दीन का चौकीदार था। वह रसीला का अच्छा दोस्त था। वह बहुत साफ मन का व्यक्ति था। खुद गरीब होते हुए भी उसने संकट के समय रसीला को पैसे उधार दिए थे। रसीला बाबु जगतसिंह सााशिलका नौकर है। क्स्वहै जो 10 रुपए मासिक वेतन पर काम करता है। वह मेहनती और परिश्रमी व्यक्ति है। एक सीधा एवं सरल और कर्तव्यनिष्ठ व्यक्ति है। वह अपनी जिमेदारी अपने परिवार के प्रति अच्छे से समझता है।

‘बस इतनी-सी बात’- पंक्ति का व्यंग्य स्पष्ट कीजिए।

एक दिन की बात है, बाबू जगत सिंह किसी व्यक्ति से काम करने के बद ले में रिश्वत के पैसे लेर है, यह समझ कर रसीला बाहरआकर रमज़ान को सारी बात सुना दी।तब रमज़ान ने बोला बस इतनी सी बात ! हमारे शेख साहब तो उन के गुरुहै।

‘शेख साहब तो उनके भी गुरु हैं’- वाक्य में ‘शेख साहब’ और ‘उनके’ शब्दों का प्रयोग किस किसके लिए किया गया है? ‘उनके भी गुरु हैं’- पंक्ति द्वारा क्या व्यंग्य किया गया है?

वाक्य में “शेख साहब”, जिला मजिस्टेट शेख सलीमुद्दीन और “उनके” शब्द इंजिनीयर बाबु जगतसिंह के लिए प्रयोग किया गया है।

‘उनके भी गुरु’ है पर रमजान रिश्मवत खोरी की चलन पे व्यंग्य कर रमज़ान ने रसीला को बताया कि रिश्वतले ने में शेखसलीमुद्दीन तो बाबु जगत सिंह के भी गुरु है, उन्होंने हज़ार से कम रिश्वत नहीं लेते है।

वक्ता ने ‘शेख साहब’ के संदर्भ में श्रोता से अपनी विवशता के संबंध में क्या-क्या कहा?

वक्ता ने ‘शेखसाहब’ के संदर्भ में श्रोता से अपनी विवशता के संबनंध में यह कहा कि हमारे शेख साहब तो उनके भी गुरु है।हज़ार से कम तय न होगा। गुनाह का फ़ल मिलेगा या नहीं, यह तो भगवान जाने, पर ऐसी ही कमाई से कोठियों में रहते है, और एक हम है कि परिश्रम करने पर भी हाथ में कुछ नहीं रहता।


“भैया, गुनाह का फल मिलेगा या नहीं, यह तो भगवान जाने पर ऐसी ही कमाई से कोठियों में रहते हैं और एक हम हैं कि परिश्रम करने पर भी हाथ में कुछ नहीं आता।”

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उपर्युक्त कथन किसने, किससे, कब और क्यों कहा है?

उपर्युक्त कथन रमज़ान ने रसीला से कहते है।जब रसीला कहता है कि बाबु साहब किसी व्यक्ति से काम करने के बदले में रिश्वत ले रहे है क्योंकि वह सोचनेक लगा की रुपया कमाने का यह कितना आसान तरीका है।पूरा महीना कमाने पर केवल दस रुपये हमें मिलते हैं।

यक्ता का संकेत किस ‘गुनाह’ की ओर है? वह ‘गुनाह’ किसने किया था और कैसे?

वक्ता का संकेत रिश्वत लेने की गुनाह की ओर है । वह गुनाह बाबु जगतसिंह किया है, यहाँ यह बताया गया है कि इंजिनियर होते हुए भी बाबु जगतसिंह चुपके से रिश्वत लेते हैं जबकि उनके पास पैसों की कमी नहीं है। वह व्यक्ति पाँच सौ रुपये की रिश्वत दे ता है, जो इंजीनियर साहब को कम लग रही है इसे वह अपना अपमान समझ रहे हैं।

‘ऐसी ही कमाई’ द्वारा वक्ता समाज की किस बुराई पर क्या व्यंग्य कर रहा है? स्पष्ट कीजिए।

“ऐसी ही कमाई’ द्वारा वक्ता समाज की रिश्वतखोरी प्रथा की बुराई पर यह व्यंग्य कर रहा है कि रिश्वत कि कमाई से कोठियों में रहते हैं और एक हम हैं कि परिश्रम करने पर भी हाथ में कुछ नहीं आता इनलोगो ने रुपया कमाने का यह तरीका बना लिया है। ईमानदारी, श्रम एंव मानवीय गुणों का महत्त्व नही दिया जा रहा है। इस सोच का परिणाम होता है- ‘जीवन के हर क्षेत्र में असमानता तथा शोषण का प्रभाव बढना।

वक्ता को यह बात सुनकर श्रोता के मन में क्या विचार आए और क्यों?

वक्ता की यह बात सुन कर श्रोता के मन में यह विचार आए कि “मेरे हाथ में सैकडों रुपए निकल गए पर धर्म न बिगडा। एक-एक आना भी उडाता तो काफ़ी रकम जुड जाती” वह यह इसलिए सोच क्युकी वह अपने प्रति माहवेतन से वो संतुष्ट नहीं था। वह अपने परिवार की खर्च नही पूरा कर पा रहा था।


रसीला ने तुरंत अपना अपराध स्वीकार कर लिया। उसने कोई बहाना नहीं बनाया।

रसीला का मुकदमा किस की अदालत में पेश हुआ? उनका परिचय दीजिए।

रसीला का मुकदमा जिला मजिस्टेट शेख सलीमुद्दीन के अदालत में पेश हुआ।वह जगतसिंह बाबू के पडोसी थे। वह भी रिश्वतखोर हैं, कोई भी काम करवाने के लिए शिकार को फ़ँसा देखकर उससे अच्छी कीमत वसूल लते है, न्याय की गद्‍दी पर बैठे वह महा अन्यायी व्यक्ति है।

रसीला का क्या अपराध था? उसने उसे तुरंत स्वीकार कर लिया, इससे उसके चरित्र को किन विशेषता की ओर संकेत होता है?

रसीला को बाबू जगतसिंह ने पाँच रुपये देकर मिठाई लाने के लिए कहा लेकिन वह साढे चार रुपये की मिठाई लिया उसने अठन्नी रमज़ान को दे करअपना कर्ज चुकता कर दिया। उसने अदालत में दिए सजा को तुरंत स्वीकार कर लिया, इससे हमें पता चलाकि वो एक सीधा, सरल एंव नेक दिल इन्सान था। परिस्थिति के आगे मजबूर होकर उसने जीवन में पहली बार एक गलती की थी और इसलिए उसे स्वीकार भी कर लिया।

क्या-क्या बहाने बनाकर अपने को बेकसूर साबित कर सकता था, पर उसने ऐसा क्यों नहीं

सजा से बचने के लिए यदि रसीला चाहता तो कई बहाने बना सकता था। वह अदालत में कह सकता था कि उसके खिलाफ़ कोई साजिश रची जार ही है, उसे फ़ँसाया जा रहा है। वह यह भी कह सक ताथा कि वह अपने मालिक बाबू जगतसिंह के यहाँ नौकरी नहीं करना चाहता, इसलिए उसके मालिक हलवाई के साथ मिलकर एक साजिश के तहत उसे सजा दिलवाना चाहते है। उसने ऐसा इसलिए ना कर पाया क्योंकि वह एक और अपराध करने का साहस न जुटा पाया था। उसकी आंखें खुल गई थी हाथ जोड़कर बोला हुजूर मेरा पहला अपराध है इस बार माफ कर दीजिए अगली बार गलती ना होगी।

रसीला को कितनी सजा हुई? न्याय व्यवस्था पर टिप्पणी कीजिए।

जिला मजिस्टेट शेख साहब ने अठन्नी की चोरी के अपराध में रसीला को छ:महीने की जेल की सजा सुना दी। यह सुन कर वह सोचने लगती है कि यह दुनिया न्यायनगरी नहीं अधेर नगरी है। चोरी पकडई गई तो अपराध होगया, यह न्याय का नमो निशान नहीं है, न्याय देने वाले खुद एक रिश्वतखोर व्यक्ति है अमीर आदमी पैसे देकर बच जरा है जबकि karb आदमी को सजा भुगतनी पड़ रही है।असली बडे अपराधी बडी -बडी कोठियों में बैठ कर दोनों हाथों से धन बटोर रहे हैं, उन्हें कोई नहीं पकडता। रात के समय जब हजार 500 के चोर नरम गद्दे पर मीठी नींद ले रहे थे अठन्नी का चोर तंग अंधेर कोठरी में पछता रहा था।


‘फैसला सुनकर रमजान की आँखों में खून उतर आया।’

रमजान कौन था? उसका परिचय दीजिए।

रमज़ान रसीला का पडोसी था और शेखसलीमुद्दीन का चौकीदार था। वह बहुत नरम दिलव तथा दयालु व्यक्ति था। वह रसीला के दु:ख में उसका साथ देता है तथा उसको जेल की सजा देने पर भी वह क्रोधित हो जाता है।( आप इसमें और भी प्वाइंट जोड़ सकते है ऊपर की उत्तर की परिचय पर उत्तर दिया गया है)।

फ़ैसला किसने सुनाया था? उसकी चारित्रिक विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।

फ़ैसला जिला मजिस्ट्रेट शेख सलीमुद्‍दीन ने सुनाया था। वह इंजीनियर बाबू जगत सिंह के पडोसी है। वह रिश्वतखेर तथा बेइमान इंसान है। न्याय की गद्‍दी पर बैठ कर भी उन्होंने न्याय का साथ नहीं दिया। जिस प्रकार उन्होंने रसीला को एक मामूली सी गलती के लिए छह महीने की सजा सुनादी उस से यह पता चलता है कि उनके मनमें दया अथवा मानवता का अभव है।

फ़ैसला सुनकर रमजान क्या सोचने लगा?

यह कठोर फ़ैसला सुन कर रमज़ान को बहुत ही क्रोध आ गया। उसकी आँखें गुस्से से लाल हो गई वह अपने मन में सोचने लगा कि यह दुनिया न्यायकी नागरी नहीं बल्कि अंधेर नगरी है। एक छोटी सी चोरी करने पर रसीला को अपराधी साबित कर दिया जाता है और दूसरी ओर बडे से बडे अपराधी बडी-बडी कोठियों में आराम से बैठे दोनों हाथों से धनबटोर रहे हैं। उन्हें कोई नहीं पकडता।

‘बात अठन्नी की’ कहानी द्वारा लेखक के क्या संदेश दिया है?

‘बात अठन्नी की ’ कहानी सुदर्शन जी द्वारा लिखित एक समाजिक कहानी है। इसमें समाज में व्याप्त कथनी-करनी की पृथकता को बताया गया है। ये कहानी न्याय व्यवस्था पर करारा व्यंग्य प्रस्तुत करती है।रिश्वत लेकर सम्मानित जीवन व्यतीत करने वालों पर कटू प्रहार किया गयाहै। रिश्वत खोरों के सत्य को यह हमारे सामने प्रस्तुत कर ते है।

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वक्ता कौन है?

वक्ता बाबू जगत सिंह जो की पेशे से इंजीनियर हैं।

बाबू जगत सिंह का एक नौकर कौन था? और उसकी वेतन कितनी थी?

रसीला बाबू जगत सिंह के यहां नौकर था। उसकी ₹10 वेतन थी।

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